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प्यारी सिलाई मशीन,
माँ ने बड़े प्यार से सिले थे कुछ सपने तुम पर…इठलाते-फिरते थे हम जिन्हें पहनकर….वो फ्रॉक, वो झबले वो, वो बनियान, बुश शर्ट…आज भी उनकी नरमाहट याद आती है.
घर के कोने में उषा, सिंगर, मेरिट जैसे नामों के स्टीकर लगाए खड़ी तुम, बड़ी उत्सुकता पैदा करती थीं. माँ जब तुम पर काम करने बैठतीं तो ऐसा लगता कोई जादूगर अपना खेल शुरू करने वाला हो.
मशीन शुरू होती और जादू हो जाता. ढीले कपडे फिट हो जाते, उखड़ी सिलाइयाँ पहले सी हो जातीं, शैतान टूटे बटन फिर अपनी जगह आ बैठते, चर्र से फटे हुए सब सर्र से ठीक हो जाते…
कपडे सिलते देखना का भी अपना मज़ा था. एक हाथ खट-खट करती सुई के नीचे कपड़े को आगे बढ़ा रहा है, दूसरा हाथ चक्के को गोल घूमा रहा है, दोनों पैर पैडल को ऊपर नीचे कर रहे हैं, बॉबिन से धागा निकल रहा है, घड-घड-घड-घड का म्यूजिक…टोटल हार्मनी.
याद हैं न वो छोटी सी दराज जिसमें बड़ी सी दुनिया समाई रहती थी. कैंची, इंच टेप, सुइयां, कपडे का वो नीला चाक, चाप बटन, तुम्हारे औजार और हाँ…वो रंग-बिरंगी धागे की गट्टियाँ. ऐसा लगता था जैसे धनक के सारे रंग उनमें उतर आए हों. और पास ही होती थी तुम्हारी वो ऑइल से नहाई तेल की कुप्पी, जो तुम्हारी खराशें दूर किया करती थी.
कितना कुछ सिलते देखा है मैंने तुम पर. कपडे, टेबल क्लॉथ, परदे, और यहाँ तक कि कुछ किस्मतें भी. पर अफ़सोस आज के घरों में तुम्हारी जगह गुम हो रही है. अब कपडे फटने पर फेंक दिए जाते हैं, नए आ जाते हैं…उन्हें सुधारने की कोशिश नहीं की जाती. जाने क्यों लगता है कि तुम कह रही हो…यह सिर्फ़ कपड़ों की बात तो नहीं रही!
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2 Comments
a visual and audible treat that was …. of all elements of sewing machine that reside in my memories too. the eagerness to see my new floral pink frock being stitched by mom… or the fashionable shopping bags… the moments revisited with a sweet delight.
keep stirring our memory jars and moments will spill and splash again!
Thank you Parul for your kind words and sharing the happy memories. We would continue to stir those memories for sure.