Chaata

पढ़िए श्री विवेक भावसार द्वारा भेजी  ‘आपकी चिट्ठी ‘… 

प्यारे छाते,

आज सुबह से लगातार रिमझिम बारिश हो रही थी और मुझे जाना था नजदीक ही किसी काम से । तब मुझे तुम्हारी याद आई। तुम्हे ढूंढता रहा यहाँ – वहाँ घरभर, लेकिन तुम पता नहीं कहाँ छिपे रहे।

जबसे मोटरसायकल से चलने लगा हूँ और रेनकोट को अपना लिया है, तुमसे दूरियाँ बढ़ गईं है। मेरी मजबूरी तुम समझ सकते हो… मोटरसायकल पर तुम्हे साथ लेकर चलना कितना मुश्किल है।

Image source

जब तक सायकल चलाता था, एक हाथ से हैंडल और दूसरे हाथ से तुम्हे सम्भालने की कसरत करते हुए कैसे भी चल ही लेता था। कभी तेज हवा के झोंके से तुम हवा के साथ दूर भागने की चेष्टा करते थे, मैं अपना संतुलन बिगड़ने से बचाने की कोशिश में लगा होता था।

Image source

छोटे बच्चे के विद्रोह की तरह तुम कभी उलट कर सड़क पर लोट लगा जाते थे या हाथ छुड़ाकर सड़क पर दौड़ लगा देते थे। लेकिन मैं कैसे भूल सकता हूँ बचपन के वो दिन, जब गर्मियों की छुट्टियाँ खत्म होते ही, स्कूल खुलने के साथ बारिश का मौसम भी शुरु हो जाता था।

Image source

कंधे पर बस्ते में रखी नई क्लास की नई किताबें, टिफिन और एक हाथ में तुम झूलते हुए साथ चलते । जब भी अचानक बूंदों की मार शुरु हो जाती, एक बटन दबाते ही हे छाते, तुम मेरे सर के उपर छा जाते, मुझे भीगने से बचाने के लिए। लगता था जैसे रंगबिरंगी ताज सर पर रख लिया हो। तुम पर गिरती बूंदों की टपटप की आवाज भी अभी तक नहीं भूला हूँ ।

Image source

तो नाराज ना हो मेरे छाते, जल्दी से मिल जा। सुविधा के लिए जरुर मैंने रेनकोट का साथ ले लिया है लेकिन बरसात के अलावा धूप में, रेनकोट तुम जैसा साथ थोड़े ही निभा सकता है।

Featured image source

(Visited 978 times, 1 visits today)

You may also like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *