प्यारे स्टूडियो फ़ोटोज़,
हर घर में, अलमारी के ऊपर या पलंगपेटी के अन्दर दबे फैमिली अलबम में, तुम्हारा बसेरा है. हमारी कितनी ही रंगीन यादें तुम्हारी पीले पड़ चुके टेक्सचर से जुडी हुई हैं.
जन्मदिन हो, नई-नवेली शादी हुई हो, फैमिली फोटो या फिर कोई वार-त्योहार, सज-धज कर स्टूडियो में फोटो खिंचाने जाने का अपना ही मज़ा था…कोई भी इवेंट इसके बिना कम्पलीट ही नहीं लगता था.
व्यस्त बाज़ार में स्थित फोटोग्राफी स्टूडियो यानी एक अलग दुनिया. काउंटर पर लगे अनगिनत हँसते-मुस्कुराते फोटोज़, आपका स्वागत करते लगते थे. एकाध रोमांटिक पोज़ देखकर मन सिक्रेटली स्माइल करने लगता था.
फोटोग्राफर फिर अपने साथ ले जाता था, रहस्य कथा के कमरे की तरह उस जादुई रूम में, जो कदम रखते ही आँखें चौंधिया देने वाली रोशनी से नहा उठता. मखमली पर्दों वाले उस रूम में एक अदद कुर्सी के अलावा मोटरकार, जीप, मोटरसाइकिल, पानी का जहाज, हवाई जहाज, चाँद, तारे, गार्डन बेंच और भी बहुत कुछ रहता था. आउटडोर फोटो चाहिए? कश्मीर की वादियों, समुद्र तट, बाग़-बगीचों, राजदरबारों के बैकग्राउंड सब हाज़िर. जिस पर चाहिए, जहाँ पर चाहिए, फोटो खिंचाइए, कोई शौक अधूरा न रहने पाए!
आज की बात-बात में सेल्फिज़ लेने वाली दुनिया, स्टूडियो में फोटो खिंचाने का वो अल्हड, मासूम और कुछ देहाती मज़ा क्या जाने…ये वो फ़ोटोज़ हैं, जो भले कितने ही पुराने हो जाएँ, दिल की गैलरी से कभी डिलीट नहीं होते.
Images courtesy,
Photo1,Photo2 , Photo3, Photo6 , Photo7 , Photo8 , Photo9 , Photo10
2 Comments
Bahut Sunder Chitran kiya he. Anand aa gaya…..
Dhanyawad 🙂