चलो ज़िन्दगी मनाएं
उतार फेंको बड़प्पन का नक़ाब
समझदारी और सोफिस्टिकेशन
को जीभ चिढ़ाओ आज
किसी बच्चे की नज़र से
ज़िन्दगी को देखो
बड़ी खूबसूरत नज़र आएगी जनाब!
ये नकाब पहनकर हासिल
ही क्या हुआ है
हर अपना हमसे रूठ गया है
मासुमियत के धागे से चलो सी ले
हर वो रिश्ता जो टूट गया है
इन नकाबो को चलो छुपा आये
जहाँ से ये फिर कभी लौट न पाए
शरारत के गले में हाथ डालकर
चलो न ज़िन्दगी मनाएं
~ आरिश नांदेडकर
Image courtesy Body Tribe
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