Aaj Ki Nari

 ‘आज की नारी….सब पर भारी’ Indiblogger के दिल्ली में आयोजित एक bloggers मीट के दौरान किसी ने खूब चुटकी लेकर कहा था और वह मौजूद सभी अपनी सहमति देकर खिलखिलाकर हँस पड़े थे. जब प्रसून जोशी द्वारा लिखित किताब ‘धूप के सिक्के’ हाथ में आयी और उसका १२वा पृष्ठ पलटा तो सबसे पहले यही शब्द नज़र आये….”आज की नारी”. यूँ लगा कि indispire के लिए इससे अच्छा संयोग नहीं हो सकता…

दुखद संयोग की बात तो यह भी है कि 2016 और 2017 की दहलीज़ पर जब सभी नव वर्ष का हर्षोल्लास से स्वागत कर रहे थे तब बैंगलोर में आज की ही नारी ने सहमते, डरते, सिसकते इस नए साल में कदम रखा.


दिन बदलते है, साल बदलते है, युग बदलते है परंतु उसके लिए क्या वाकई कुछ बदल रहा है?
क्या पुरुष अपने पुरुषत्व के नशे में इतना मदमस्त हो चला है कि इस सदी की नारी को देखने भर से उसकी गरिमा को निर्ममता से कुचलने में ही उसे आनंद मिलता है? या फिर क्या वह inferiority complex का शिकार है? चाँद पर झंडा गाढ़ती, olympics में पदक जीतती युवतियों का यह रूप अब सहन नहीं होता. इसलिए जिस रौशनी को अब घूघंट के पीछे छिपाना संभव नहीं है उसके झिलमिलाने का अधिकार ही छीन लिया जाए?


वर्ष नया है, इसलिए उम्मीदों का घड़ा फिर से छलक रहा है…

 

उम्मीद है कि आज की नारी अपनी आवरण की कसौटी पर नहीं, अपनी बुद्धिमता की कसौटी पर परखी जाएगी…

 

उम्मीद है प्रगति के पथ पर चलती करियर वुमन किसी male colleague के सहारे के बिना भी, बिना बगले झाँकते निश्चिंत घर पहुँचेगी…

 

उम्मीद है आज के नर कल की संकीर्ण विचारधारओं के कैद से आज़ाद होंगे….

 

उम्मीद है हर स्त्री को हर पुरुष के चेहरे में एक खलनायक नहीं दिखेगा.

 

उम्मीद है हर पुरुष हर स्त्री को वस्तु नहीं समझेगा.

“ऐसा नर भी क्या जो ताकत पर अभिमान करे
पुरुष वही जो दानवता का मर्दन मान करे. ” 

 

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NOTE: यह पोस्ट Indispire edition number 151 के इस सुझाव पर आधारित है –

Pick up the book you are reading and from the 12th page, choose a word and use it as a prompt to write your next post. Try to relate it in some way to the twelve months of the New Year. Don’t forget to tell the name of the book to your readers. #TwelveMonths.

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2 Comments

    1. Thank you so much Chaicy. Glad the challenge helped us put forth this message. Appreciate your positive feedback.

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