Gatagat

प्यारी गटागट, तुम्हारा नाम लेते ही पंसारी की दुकान में रखी वो काँच की बरनी आँखों के आगे तैर जाती है जिसमें वो तुम्हें सजाकर रखता था. आसपास श्वेत नमक का ढेर और बीच में श्यामवर्णा तुम, और तुम्हें ललचाई […]

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