हाँ , गुलामी मैंने नहीं देखी , वे स्वर मेरे कानों पर नहीं पड़े , जो देश की स्वतंत्रता के सपने दिखाते थे , वो लाठियाँ मैंने नहीं खाई , जो हर उस पीठ पर पड़ी जो तनकर तिरंगा […]
हाँ , गुलामी मैंने नहीं देखी , वे स्वर मेरे कानों पर नहीं पड़े , जो देश की स्वतंत्रता के सपने दिखाते थे , वो लाठियाँ मैंने नहीं खाई , जो हर उस पीठ पर पड़ी जो तनकर तिरंगा […]