प्यारे प्रेम पत्र,
किसी ने भेजा होगा, कोई भेज नहीं पाया होगा, पर प्रेम होने पर प्रेम पत्र शायद सबने ही लिखा होगा…डायरेक्ट बोलने की डेरिंग वैसे कम ही लोगो में होती है.
तुम्हारा नाम लेते ही कितनी यादें महक उठती हैं…ठीक उन खुशबू वाले लैटर पैड्स की तरह जो शायद तुम्हारे लिए ही बनाए जाते थे. सूँघ-सूँघकर सही खुशबू चुनना, उन पर बने फोटोज़ में से सबसे रोमांटिक ढूंढना, सुन्दर अक्षरों के लिए पायलट पेन खरीदना, मानो राइटिंग के एक्स्ट्रा मार्क्स मिलते हों…
फिर तुम्हारे कंटेंट की बारी आती थी. कुछ स्मार्ट लोग तो सीधे-सीधे आउटसोर्स कर देते थे, उन लोगों को जो इसमें इतने माहिर थे कि लगता था बचपन में क-ख-ग की जगह प-या-र ही पढ़े हों.
हम जैसे रेगुलर प्राणियों का प्रपोज़ल भी रेगुलर ही हुआ करता था. हालाँकि थोड़ा बहुत शायरियों, फ़िल्मी गीतों और पढ़े-सुने जुमलों का सहारा ले लिया जाता था…पर ओवरऑल कंटेंट ओरिजिनल रहता था. खूबसूरती की तारीफ़, मुस्कान का गुणगान, दिल का हाल बताना तो आसान होता, पर नाम के आगे माय डियर, माय लव या माय लाइफ लिखूँ…इसी उधेड़बुन में कचरे का डब्बा भर जाया करता था…
और फिर तुम्हें देने की बारी आती…स्ट्रेटजी बनाकर, टाइम और मूड देखकर…धड़कते दिल और काँपते हाथों से…
कई तो डर के मारे दिए ही नहीं जाते…कुछ जगह पर ही फाड़ दिए जाते…कुछ ‘उस नज़र से नहीं देखा’ के लॉजिक से हार जाते…कुछ का निपटारा प्रिंसिपल के ऑफिस में या देने/लेने वाले के घर में बड़ों के सामने होता…कुछ का गणित पत्र पहुँचाने वाला ही बिगाड़ देता…कुछ तो सिर्फ कलेक्शन का हिस्सा बनाने के लिए रख लिए जाते…कुछ को रिसायकल कर दिया जाता…इनमें से बहुत ही थोड़े का जवाब आता…और जिसका आता, वो मानो जन्नत पा जाता.
सोचता हूँ, आज के ज़माने में कोई समय निकालकर प्रेम पत्र लिखता होगा क्या? इन्टरनेट तो एक दुकान है, सबकुछ रेडीमेड मिलता यहाँ है…
पर फिर सोचता हूँ कि ‘मारे हुए फॉरवर्ड्’ और ‘छापे हुए मैसेजेस’ में, अपने प्यार के इज़हार का मज़ा कहाँ है!
3 Comments
its fabulous. ….really superb idea….love letter ko letter. …its very beautiful. …
Thanks a lot payu 🙂
Apka patra bhu accha laga hamko bhi lagata hai kabhi kabhi sayr ban jay lakin pata nahi kyon ya dil mana kar deta hai
App kuch bata saka to Bask batya ga
Apka patra ka intzer