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निर्देशन – विजया मुले
एनीमेशन – भीमसैन खुराना
हिन्द देश के निवासी के गीतकार – पंडित विनय चन्द्र मौद्गल्य
गायिका – साधना सरगम
संगीतकार – वसंत देसाई
प्यारी एक चिड़िया, अनेक चिड़िया,
क्या एक ७ मिनट की एनीमेशन फिल्म में इतनी ताकत हो सकती है कि बनने के लगभग ४५ साल बाद भी वो जहन में उतनी ही ताज़ी हो और हर बार उतना ही आनंद प्रदान करे. एक चिड़िया, अनेक चिड़िया ऐसी ही एक फिल्म है जिसने हमारे बचपन को एक नहीं अनेक खुशियाँ प्रदान कर उसे खूबसूरत बनाया है.
पेड़ के नीचे चित्र बनाती, गुनगुनाती दीदी और पास ही आम तोड़ने की कोशिश करता वो नन्हा सा बच्चा टीवी स्क्रीन पर आते ही क्या छोटे, क्या बड़े सब सम्मोहित हो जाते.
ये अनेक क्या होता है दीदी?
बच्चे के इस मासूम से सवाल को दीदी बड़े प्यार से समझाती. याद है न, आँख मिचकाते सूरज-चंदा कितने प्यारे लगते थे और उतनी ही शैतान लगती वो नन्ही सी गिलहरी जो उनके ऊपर चढ़कर अठखेलियाँ करती और फिर फुदकते हुए भाग निकलती थी.
फिर दौड़े चले आते थे अलग-अलग वेशभूषा में ढेर सारे बच्चे और दीदी उन सबको सीखाने लगती.
एक अनेक के पाठ के बाद आता था सबसे रोमांचक पार्ट – अनेक चिड़ियों की कहानी. चिड़ियों का एक ताल में उड़ना, जाल में फंस जाना और फिर उसे लेकर उड़ जाना, मुच्छड ब्याध का उनका पीछा करते-करते गिर जाना, चूहे का सीटी मारकर अपने दोस्तों को जाल कुतरने को बुलाना और सबका हैप्पी डांस…कैसे भूल सकता है भला कोई. और न ही भूल सकता है बच्चों का एकता का मतलब समझ जाना और ‘जुगत लगानी होगी’ के यादगार वाक्य के साथ मिलजुलकर स्वादिष्ट आम तोड़ लाना!
आश्चर्य होता है कि कैसे ये मासूम सी कहानी, बच्चों को खेल-खेल में राष्ट्रीय एकता का महत्वपूर्ण पाठ पढ़ा देती है…यही बात इसे लाजवाब बनाती है.
आज के दौर में जब बच्चों के कार्यक्रम बड़ों के लिए बने होने का आभास देते हैं, भोली आवाज़ों, मासूम किरदारों, मधुर संगीत और सरल बोलों से सजी यह एनीमेशन फिल्म आज भी मन की भावनाओं को एनिमेट कर देती है और हमें बचपन की निष्कपट दुनिया में वापिस ले चलती है…
3 Comments
Lovely and very inspiring.
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