लव नोट्स
उम्र कच्ची थी, मगर प्रीत सच्ची थी.
क्लास में बगल की सीट पर बैठते-बैठते वो कब दिल की सीट पर आ बैठी पता ही नहीं चला. वो भी चोरी-चोरी मुझे देखती रहती थी.
अब प्यार किया है तो इज़हार करना ज़रूरी था. आमने-सामने कहने की हिम्मत तो थी नहीं सो लव लेटर का सहारा लेने का फैसला किया.
कुछ चोरी के शेरों से अपने दिल की बात को बयान किया और बीच की छुट्टी में लेटर चुपचाप उसके बैग में जाकर रख दिया.
अब धड़कते दिल के साथ करने लगे जवाब का इंतज़ार. जवाब आया और क्या शानदार आया!
एक दिन बीच क्लास में प्रिंसिपल ने हम दोनों को अपने केबिन में बुलवाया. लड़की के मम्मी-पापा पहले ही वहां मौजूद थे. और फ़िर अगले आधे घंटे क्या-क्या हुआ जनाब ये मत पूछिए!
डांट, स्कूल से निकालने की धमकी, पेरेंट्स को बुलाने की वार्निंग और अंत में एक करारे थप्पड़ के साथ पैकेज पूरा हुआ! किसी शायर ने प्यार को आग का दरिया क्यूँ कहा है, ये समझ आया.
सर झुकाकर, मुँह लटकाकर बाहर निकलते हुए उस लड़की से फ़िर आमना–सामना हुआ. मैंने गुस्से में उससे कहा, “पसंद नहीं था तो मना कर देती, पिटवाने की क्या ज़रुरत थी!!!”
उसने कहा, “लेटर देना ही था तो हाथ में दे देते, बैग में डालने की क्या ज़रुरत थी!!!’
कैंपस, क्रिकेट और प्यार में प्लेसमेंट का क्या महत्व होता है, मुझे उस दिन समझ आया.
दिन बीते, साल बीते, बात आयी-गयी हो गयी. वो लड़की भी जाने कहाँ गुम हो गयी…लेकिन वो प्यार का इजहार और उसके बदले मिली मार…मेरे दिल में एक खूबसूरत याद बनकर रह गयी.
हैप्पी वैलेंटाइन डे!
5 Comments
At the end of the write up author, poet name is not mentioned.
The author wanted to keep it anonymous swati:)
Awesome…..sahi hai bilkul
Thanks piyush…seems that it stirred some old memories☺